बहुत ज्यादा बोलने की आदत से बढ़ रहीं सेहत और रिश्तों की समस्याएँ, विशेषज्ञों की चेतावनी

लगातार और जरूरत से ज्यादा बात करना कई लोगों की आदत बन चुका है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदत धीरे-धीरे मानसिक, शारीरिक और सामाजिक समस्याओं का कारण बन सकती है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादा बोलने वाले लोगों में तनाव, गले की दिक्कत और रिश्तों में खटास जैसी समस्याएँ अधिक देखी जाती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार बोलते रहने से दिमाग पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति जल्दी थकान महसूस करता है और चिड़चिड़ापन भी बढ़ सकता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे लोग अक्सर सोचने से ज्यादा बोलते हैं, जिसके कारण अनजाने में गलत बातें भी उनके मुंह से निकल जाती हैं, और इससे रिश्तों में गलतफहमियाँ गहराती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि अत्यधिक बोलना गले पर भी असर डालता है। इससे गले में खराश, आवाज़ बैठना और सूजन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। वहीं, साँस लेने में तेज़ी और शरीर में थकावट भी सामने आ सकती है। चिकित्सकों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसा चलने पर आवाज़ से जुड़े विकार भी उत्पन्न हो सकते हैं।
सामाजिक स्तर पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। जरूरत से ज्यादा बोलने वाले लोगों की बातों को अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता। टीम वर्क में ऐसे लोगों को कम सहयोगी माना जाता है, क्योंकि वे दूसरों की बात सुनने की बजाय अपनी बात रखते रहते हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को बोलने और सुनने के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। बातचीत के दौरान कुछ सेकंड सोचकर बोलना, सामने वाले को अपनी बात रखने का अवसर देना और दिन में कुछ समय ‘नो-टॉक’ रूटीन अपनाना लाभदायक हो सकता है। उनका कहना है कि संतुलित बातचीत न केवल व्यक्तित्व को बेहतर बनाती है, बल्कि रिश्तों को भी मजबूत करती है।
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