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Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेई के वो भाषण जो कर देंगे आपको जोश से ओत-प्रोत, इधर पीएम मोदी करेंगे ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन

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राष्ट्रीय
25 Dec 2025, 12:19 pm
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रिपोर्टर : Jyoti Sharma

Atal Bihari Vajpayee भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई का देशभर में 101वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। इस मौके पर बीजेपी देश भर में कार्यक्रम आयोजित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सदैव अटल’ स्मृति स्थल पर पहुंचकर अटल बिहारी वाजपेई को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने भी पुष्प अर्पित कर वाजपेई को अपनी श्रद्धांजलि दी। सदैव अटल स्मृति स्थल पर प्रार्थना सभा भी आयोजित की गई। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लखनऊ में ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन करेंगे। वाजपेई के अलावा साथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विशाल कांस्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। यहां पर एक अत्याधुनिक संग्रहालय बनाया गया है। ये इन तीनों राष्ट्रनिर्माता नेताओं के योगदान को दर्शाता है।







वाजपेई जी के जन्म जयंती के मौके पर हम आपको उनके प्रसिद्ध भाषणों के कुछ अंश याद दिला रहे हैं। जो आज भी बेहद प्रसिद्ध हैं और इनमें से कुछ तो इतने ओजस्वी हैं जो आपको देशभक्ति और जोश से ओत-प्रोत कर देंगे।  


1-  11 मई 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “आज दोपहर 3:45 बजे, भारत ने पोखरण रेंज में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए। ये परीक्षण एक विखंडन उपकरण, एक कम क्षमता वाले उपकरण और एक थर्मोन्यूक्लियर उपकरण के साथ किए गए। ये मई 1974 में किए गए प्रयोग की तरह नियंत्रित विस्फोट थे। मैं इन सफल परीक्षणों को अंजाम देने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को हार्दिक बधाई देता हूं।


2-  28 मई, 1996 को जब अटल जी की 13 दिन बाद ही सरकार गिर गई थी तो संसद में उन्होंने ऐसा ओजस्वी भाषण दिया कि पूरा देश आज भी उसे सुनता है। उन्होंने संसद में त्यागपत्र देते हुए कहा था कि 'सत्ता का खेल चलेगा, सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन देश को जीवित रहना चाहिए, इसकी लोकतंत्र को जीवित रहना चाहिए। मैं 40 सालों से संसद में हूं, मैंने सरकारों को बनते और गिरते देखा है लेकिन भारत का लोकतंत्र इन सभी क्षणों से और भी मजबूत होकर उभरा है।‘


3-  मई 2003 को संसद में अटल बिहारी जी ने कहा था कि ‘आप मित्र तो बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।’


4-  साल 2004 में वाजपेयी बिहार में जनता को संबोधन दे रहे थे तब उन्होनें कहा था कि ‘मैं अटल हूं और बिहारी भी हूं।‘ उनके ये कहने पर तब बिहार की जनता ने खूब तालियां बजाई थीं और बिहारी को स्वीकार किया था।


5-  23 अप्रैल 2003 को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर संसद में उन्होंने अपने दिए वक्तव्य में कहा था कि ‘बंदूक किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकती, पर भाईचारा कर सकता है। यदि हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के तीन सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होकर आगे बढ़ें तो मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं।’

    


 


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