अंता विधान सभा उपचुनाव में बीजेपी लगा सकती है नरेंद्र नागर पर मोहर, पार्टी में चर्चा तेज

राजस्थान की सियासत का पारा एक बार फिर चढ़ गया है. हर गलियारे में एक ही चर्चा है की 'बीजेपी अंता से किसे मैदान में उतारेगी'. सबकी निगाहे बीजेपी पर टिकी है की पार्टी अपना तुर्प का इक्का कब निकलेगी। अंता विधान सभा के उपचुनाव कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार का नाम पहले ही घोषित कर दिया है. पार्टी ने प्रमोद जैन भैया पर दाव लगाया है. पार्टी ने नरेंद्र मीणा को टिकट ना दे कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
बीजेपी ने अभी तक अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है. इससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है. चर्चा में बीजेपी ऑफिस और 13 सिविल लाइन का घर जिस पर नेताओं आना-जाना लगा रहता है. हालांकि वसुंधरा राजे सिंधिया पहले ही बोल चुकी है की पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री इस पर फैसला करेंगे लेकिन ये बात सब जानते की हाड़ौती में राजे एक महत्वपूर्ण नेता है
अंता विधानसभा में जातीय स्थित भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार अंता विधानसभा क्षेत्र की बीते 1 अक्टूबर को जारी की गई अंतिम मतदाता सूची के अनुसार यहां कुल 2 लाख 27 हजार 563 मतदाता हैं. इनमें से 1 लाख 16 हजार 405 पुरुष और 1 लाख 11 हजार 154 महिला मतदाता हैं. विधानसभा क्षेत्र में 4 वोटर थर्ड जेंडर भी हैं. अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए कुल 268 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं जहां मतदाता अपने मतदान का प्रयोग कर सकेंगे.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अंता विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता दलित समाज के माने जाते हैं. इनकी संख्या करीब 50 हजार आंकी जाती है. दूसरे नंबर पर मीणा, सैनी और मीणा समाज के वोटर हैं. इनकी संख्या करीब 40-40 हजार मानी जाती है. इन समाजों के बाद करीब 18 हजार वोट मुस्लिम समुदाय, 14 हजार गुर्जर समाज और 15 हजार ब्राह्मण समाज के वोटर हैं.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उच्च स्तर पर उम्मीदवार चयन को लेकर गहन मंथन चल रहा है। नरेंद्र नागर का नाम बतौर उम्मीदवार तेजी से उभर रहा है। बताया जा रहा है कि संगठन में उनकी सक्रिय भूमिका, क्षेत्र में मजबूत जनसंपर्क और जनता के बीच लोकप्रिय छवि को देखते हुए उन्हें मौका मिल सकता है।
स्थानीय नेताओं का कहना है कि अगर नरेंद्र नागर को टिकट दिया जाता है, तो यह पार्टी के लिए एक रणनीतिक कदम साबित हो सकता है। अंता क्षेत्र में युवाओं और किसानों के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है, जो चुनावी परिणामों पर निर्णायक असर डाल सकती है। बता दे नरेंद्र नागर पहले भी खानपुर से बीजेपी के विधायक रह चुके है. और उनकी क्षेत्र में मजबूत पकड़ भी मानी जाती है
अंता विधान सभा में बारां पंचायत समिति के प्रधान मोरपाल सुमन ने भी अपनी ताल ठोक दी है. सुमन भी बीजेपी से टिकट मांग रहे है. एक वर्ग इस नाम पर भी चर्चा कर रहा है
फिलहाल, पार्टी की ओर से आधिकारिक घोषणा का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन यह तय है कि अंता विधानसभा सीट का यह उपचुनाव राजस्थान की राजनीति में कई नए समीकरण गढ़ सकता है।
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